• EPISODE 1 - समारंभ
    Oct 14 2022
    तक्षशिला के गुरु चाणक्य को गुरुकुल से बौद्ध और जैन गुरुवों से हुई धार्मिक विवाद में हुई कलह की वजह से निकाल दिए जाते हैं. युवा अवस्था वाले चाणक्य तक्षशिला से मगध नंद राजावों के राज्य अपनी माता की आग्रह पर आते हैं क्यूंकि उनकी आर्थिक स्तिथि ठीक नही. पर नन्द का राजा उनके विकृत पैर और लम्बें दांत देख उन्हें भिक्षा देने से इंकार कर देता है. जब चाणक्य उस से बहस कर लेते हैं तब राजा उन्हें जेल में डाल देता है
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    19 mins
  • EPISODE 2 - राजा धनानंद के कुकृत्य
    Oct 14 2022
    धनानंद, युवराज पब्बता के विवाह प्रस्ताव वाली राजकुमारी को अपनी अर्धांगिनी बनाने की घोषणा कर देता है. पब्बता अपने क्रोध को सभा में ही व्यक्त कर देता है. लज्जित अमात्य पब्बता के कहने पर चाणक्य से मिलता है जिनका क्रोध अभी भी शांत नहीं हुआ. धनानंद अपनी दुष्टता में एक पायदान और बढ़ते हुए उसी रात वासना में बहकर एक नर्तकी युवती को आत्मदाह करने को मजबूर कर देता है.
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    19 mins
  • EPISODE 3 - चाणक्य गमन
    Oct 14 2022
    धनानंद वासना में बहकर एक नर्तकी युवती को आत्मदाह करने को मजबूर कर देता है जिसकी प्रतिक्रिया में पब्बता और अमात्य राक्षस भी विद्रोह में हो जाते हैं. धनानंद को नर्तकी लड़की की हत्या पर कोई खेद नहीं होता. उसका पिता जब उसकी मृत शरीर वापस मांगता है तो वो उल्टा उसकी लाश को महल के दीवार से लटकाने का आदेश दे बैठता है. और उसके पिता के श्राप देने पर उससे स्वयं अपने हाथों से गला काट देता है. अपने पिता से अत्याधिक खिन्न होने पर पब्बता चाणक्य से मिलता है और उन्हें भाग जाने में सहायता करता है.
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    18 mins
  • EPISODE 4 - चाणक्य संहिता
    Oct 14 2022
    चाणक्य पब्बता की सहायता से गंगा नदी पारकर वन में छिप जाते हैं. वहां उनकी भेंट बाल चन्द्रगुप्त से होती है जो अभी भी अपरिपक्व है. अपनी क्रूरता में पागल राजा धनानंद सिपाहियों को दण्डित करता है. पब्बता का भेद खुलने से पहले अमात्य राक्षस उसे बचा लेता है. दोनों चाणक्य से मिलते हैं और उन्हें पुरु पुत्र “मलय-केतु” से मिलने को कहते हैं. “मलय केतु” से उनको पब्ब्ता के छुपे पाप का भी ज्ञात होता है और वही उन्हें मलय केतु से यूनानी आक्रमण का भी ज्ञात होता है.
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    19 mins
  • EPISODE 5 - कूटनीति की शिक्षा
    Oct 14 2022
    चाणक्य अपनी मातृभूमि को परतंत्र जान व्याकुल हो जाते हैं. फिर वह अशोक को कूटनीति का ज्ञान देते हैं और सिकंदर की कर्मठता का उल्लेख करते हैं. अशोक को विस्तृत इतिहास का ज्ञान प्रबल मानसिक शक्ति देता है. फिर युवक चाणक्य अपनी माँ से मिलते हैं. वो उनका अपना हाल-चाल देते हैं. और मलय-केतु के साथ सिकंदर से भी मिलते हैं. युद्ध निश्चित है, मलय-केतु चाणक्य को गुप्तचर बनाकर सिकंदर के बुलाये धर्म गुरुवों की बैठक में जाने को तैयार कर लेता है.
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    19 mins
  • EPISODE 6 - गुप्तचर-चाणक्य
    Oct 14 2022
    मलय-केतु चाणक्य को गुप्तचर बनाकर सिकंदर के बुलाये धर्म-गुरुओं की बैठक में भेजता है. वो वहां जाकर संबोधित बैठक में ये जान पाते हैं कि सिकंदर ने धमका तो दिया पर युद्ध वो भी नहीं चाहता. वो धर्म-गुरुओं से भी सरल बातचीत इसीलिए चाहता है क्योंकि वो पुरु और मलयकेतु को एक आखरी बार समझाना चाहता है. वो नन्द के राजा से सीधा युद्ध चाहता है. फिर चाणक्य छुप कर गुप्तचर-कार्य करते हैं और ये जान पाते हैं कि किसी ऋषि दांडयायन ने सिकंदर को भयभीत कर दिया है. इस ज्ञान के साथ वो उसके सिपाहियों को आकाशवाणी से डरा देते हैं.
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    19 mins
  • EPISODE 7 - सिकंदर, मलय-केतु, अमात्य और चाणक्य विस्तार
    Oct 14 2022
    चाणक्य युद्ध की बात जानकर मगध की ओर प्रस्थान करते हैं. चाणक्य बताते हैं कि उन्हें रोचक युद्ध नहीं बल्कि निश्चित विजय चाहिए थी. तब उन्हें स्मरण हो आया अमात्य राक्षस का और वह संयोग से मिले भी उनसे. उससे भी बात नहीं बनती और सुनने में ये आता है कि मलय केतु और राजा पुरु युद्ध हार गए. दोनों अब सिकन्दर संधि कर उनकी ओर से लड़ेंगे. तब दुविधा में पड़े चाणक्य ठगा हुआ जानकार ये निश्चय करते हैं कि चन्द्रगुप्त से आकस्मिक दोबारा मिलते हैं और निश्चित भविष्य के लिए उनका मार्गदर्शन करते हैं.
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    19 mins
  • EPISODE 8 - मगध-परीक्षा
    Oct 14 2022
    पब्बता का धड़ जंगल में छोड़ उसका सर लेकर चन्द्रगुप्त चाणक्य संग मगध पहुंचते हैं... अमात्य को युवराज पब्बता का कही नहीं मिलने का समाचार मिलता है. यह सूचित किये जाने पर धनानंद रुष्ट हो जाता है. चाणक्य मगध आकर जान पाते हैं कि राज्य में बुद्धिमता की परीक्षा हो रही है. स्वयं अमात्य इसका ज्ञान उन्हें देता है और पब्बता की बादल देव के साथ होने की बात होती है. और दोनों राज्य सभा में जाते हैं जहाँ शीशे का सिंह पिंजरे से पिघला कर चन्द्र बाहर निकाल लेता है. ये देख उन्हें एक अवसर चन्द्र के लिए दिखता है. फिर योजनाबध्य तरीके से बादल देव अपनी सेना मगध के समीप लाता है.
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    21 mins